१. ईश्वर एक है ,कई ईश्वर नहीं है |
२ . ईश्वर निराकार है उसको आँख से नहीं देख सकते है ,न ही उसकी मूर्ति बना सकते है |
३. ईश्वर सर्वज्ञ है और सर्वव्यापक है ,वह सब कुछ जनता है और छोटी से छोटी वस्तु के भीतर और बाहर विद्यमान है |
४. ईश्वर सर्वशक्तिमान है अर्थात वह अपने किसी कम करने के लिए आँख ,कान ,नाक आदि शरीर व अन्य किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं रकता जो कुछ करता है बिना किसी व्यक्ति व वस्तु के सहायता के करता है |
५. ईश्वर अजन्मा और निर्विकार है, वह मनुष्य के समान जनम मरण में नहीं आता ,अवतार बे नहीं लेता ,राम ,कृष्ण ईश्वर के अवतार नहीं थे ,धरमात्मा पुरुष थे इसीलिए उनके अच्छे कामो को स्मरण करना चाहिए परुन्तु उनकी मूर्तियों को ईश्वर समझ कर नहीं पूजना चाहिए |
२ . ईश्वर निराकार है उसको आँख से नहीं देख सकते है ,न ही उसकी मूर्ति बना सकते है |
३. ईश्वर सर्वज्ञ है और सर्वव्यापक है ,वह सब कुछ जनता है और छोटी से छोटी वस्तु के भीतर और बाहर विद्यमान है |
४. ईश्वर सर्वशक्तिमान है अर्थात वह अपने किसी कम करने के लिए आँख ,कान ,नाक आदि शरीर व अन्य किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं रकता जो कुछ करता है बिना किसी व्यक्ति व वस्तु के सहायता के करता है |
५. ईश्वर अजन्मा और निर्विकार है, वह मनुष्य के समान जनम मरण में नहीं आता ,अवतार बे नहीं लेता ,राम ,कृष्ण ईश्वर के अवतार नहीं थे ,धरमात्मा पुरुष थे इसीलिए उनके अच्छे कामो को स्मरण करना चाहिए परुन्तु उनकी मूर्तियों को ईश्वर समझ कर नहीं पूजना चाहिए |
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