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Saturday, March 24, 2012

महर्षि दयानंद

स्वामीजी का जन्म 27-फ़रवरी-1824 को काठियावाड़ (गुजरात) के गाँव टंकारा में हुआ था | महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा समाज के उत्थान की दिशा में दिये गए महत्वपूर्ण योगदान कभी भी भुलाए नहीं जा सकते |

उनका बचपन का नाम मूलशंकर था। गृह त्याग के बाद मथुरा में स्वामी विरजानन्द के शिष्य बने। १८६३ में शिक्षा प्राप्त कर गुरु की आज्ञा से धर्म-सुधार हेतु 'पाखण्ड खण्डिनी पताका' फहराई। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ७ अप्रैल,१८७५ को मुम्बई में आर्य समाज की स्थापना की थी। सत्यार्थ प्रकाश जैसा उत्कृष्ट ग्रन्थ हिंदी तथा ऋग्वेदादिभाष्य संस्कृत मेँ लिखा। सन् १८८३ में स्वामी जी का देहान्त हो गया।

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  • As was said by Maharishi Swami Dayanand: "I have not come to preach a new dogma or religion, nor to establish a new religious order, nor to be proclaimed a new messiah or pontiff. I have only brought before the people, the light of Vedic Wisdom which has been hidden during the centuries of India's thraldom."
  • आर्य समाज संपूर्ण रूप से वैदिक ज्ञान पर आधारित है और वेदानुकूल वैदिक साहित्य और सत्य सनातन वैदिक धर्म को ही सर्वोपरि मानता है | हमारे पूर्वज समस्त ऋषि मुनि, योगी,तपस्वी ,विदुषी, मनीषी,महापुरुष राम ,कृष्ण ,आदि ये सभी भी आर्य थे और यहाँ तक की हमारे सम्पूर्ण इस देश का नाम भी आर्यवर्त था |
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