गांधी जी राष्ट्रपिता हैं, तो स्वामी दयानंद राष्ट्र पितामह। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति में स्वामी दयानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सरदार पटेल के मुताबिक देश की स्वतंत्रता की नींव वास्तव में महर्षि ने ही रखी थी।लोकमान्य तिलक ने भी उन्हें स्वराज्य का प्रथम संदेशवाहक कहा था।नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने "आधुनिक भारत का निर्माता" माना।
स्वामी दयानंद सरस्वती ,जिन्होंने भारत की उन्नति के लिए विवेकानंद के 20-25 साल पहले ही शंखनाद कर दिया था और वेदों के उद्धरण दे-देकर सिद्ध किया था | वास्तव में दयानंद और विवेकानंद जैसे राष्ट्रवादी संन्यासी
स्वामी दयानंद सरस्वती भारतवर्ष के क्रांतिकारी उन्नायक, देश उद्धारक, वेद भगवान को सर्वोच्च सत्ता पर स्थापित करने वाले महर्षि थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके कार्य अतीव महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। नारी शिक्षा का भारत में समारंभ वास्तव में महर्षि दयानंद की देन है। आर्य समाज का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतीव महत्वपूर्ण रहा है। सामाजिक चेतना को नए आयाम देने वालों में स्वामी दयानंद अग्रणी माने जाते हैं।
आर्य समाज आंदोलन की शुरुआत-महर्षि दयानंद ने समाज सुधार और देश को गुलामी से छुटकारा दिलाने के साथ मुम्बर्इ की काकड़बाड़ी में 1875 में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना के बाद तो देश और समाज में एक युगांतकारी आंदोलन की शुरुआत हुर्इ। इस आंदोलन ने सारे देश में बदलाव की ऐसी आंधी पैदा की कि, सभी तरह के समाज, देश, संस्कृति, धर्म और इंसानियत के खिलाफत करने वालों के पैर उखड़ गए।
गांधी जी ने आर्य समाज का समर्थन किया-महात्मा गांधी ने आर्य समाज के जरिए किए जाने वाले कार्यो की खूब तरीफ की। उन्होंने महर्षि दयानंद को एक युगांतरकारी महामानव कहकर पुकारा। इतना ही नहीं, देश-दुनिया के तमाम महापुरुषों, शिक्षाविदों और राजनेताओं ने भी महर्षि दयानंद और आर्य समाज के कार्यों की खुलकर तारीफ की। गांधी जी ने कहा-मैं जहां जहां से गुजरता हूं आर्य समाज वहां पहले ही गुजर चुका होता है।
स्वामी दयानंद सरस्वती ,जिन्होंने भारत की उन्नति के लिए विवेकानंद के 20-25 साल पहले ही शंखनाद कर दिया था और वेदों के उद्धरण दे-देकर सिद्ध किया था | वास्तव में दयानंद और विवेकानंद जैसे राष्ट्रवादी संन्यासी
स्वामी दयानंद सरस्वती भारतवर्ष के क्रांतिकारी उन्नायक, देश उद्धारक, वेद भगवान को सर्वोच्च सत्ता पर स्थापित करने वाले महर्षि थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके कार्य अतीव महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। नारी शिक्षा का भारत में समारंभ वास्तव में महर्षि दयानंद की देन है। आर्य समाज का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतीव महत्वपूर्ण रहा है। सामाजिक चेतना को नए आयाम देने वालों में स्वामी दयानंद अग्रणी माने जाते हैं।
आर्य समाज आंदोलन की शुरुआत-महर्षि दयानंद ने समाज सुधार और देश को गुलामी से छुटकारा दिलाने के साथ मुम्बर्इ की काकड़बाड़ी में 1875 में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना के बाद तो देश और समाज में एक युगांतकारी आंदोलन की शुरुआत हुर्इ। इस आंदोलन ने सारे देश में बदलाव की ऐसी आंधी पैदा की कि, सभी तरह के समाज, देश, संस्कृति, धर्म और इंसानियत के खिलाफत करने वालों के पैर उखड़ गए।
गांधी जी ने आर्य समाज का समर्थन किया-महात्मा गांधी ने आर्य समाज के जरिए किए जाने वाले कार्यो की खूब तरीफ की। उन्होंने महर्षि दयानंद को एक युगांतरकारी महामानव कहकर पुकारा। इतना ही नहीं, देश-दुनिया के तमाम महापुरुषों, शिक्षाविदों और राजनेताओं ने भी महर्षि दयानंद और आर्य समाज के कार्यों की खुलकर तारीफ की। गांधी जी ने कहा-मैं जहां जहां से गुजरता हूं आर्य समाज वहां पहले ही गुजर चुका होता है।
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