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Monday, March 12, 2012

क्या आत्मा परमात्मा का अंश है?

नहीं,यह लोगों की भ्रान्ति है |
कुछ लोगो को भ्रान्ति है की श्री कृष्ण जी ने कहा है की
आत्मा परमात्मा का अंश है आत्मा न पैदा होती है न मरती है न आग जला सकती है न जल गीला कर सकता है उतम काम करने वाले मोक्ष प्राप्त करते है अर्थात आत्मा परमात्मा से मिल जाती है नही तो जीवन मरण में लगी रहती है.
क्या ये मानना सही है ???


यह लोगों की भ्रान्ति है, ऐसा श्री कृष्ण जी ने कभी भी, कहीं भी नहीं कहा, कि "{आत्मा परमात्मा का अंश है." वे वेद के विद्वान् थे. और वेदों में ऐसा कहीं नहीं लिखा. बाद में कुछ गलत लोगों ने गीता आदि ग्रंथों में ऐसी वेद विरुद्ध बातें मिला दीं. वास्तव में सत्य तो यह है, कि "आत्मा और परमात्मा दोनों अलग अलग सत्ताएं हैं. दोनों और तीसरी प्रकृति, ये तीनों चीज़ें अनादि हैं. कभी भी उत्पन्न नहीं हुई और न ही कभी नष्ट होंगी." आत्मा का मोक्ष होने का अर्थ इतना ही है, कि "वह ३१ नील, १० ख़राब और ४० अरब वर्ष के लिए जन्म मरण से छूट जाता है, और उसे इतने लम्बे समय तक एक भी दुःख नहीं भोगना पड़ता. साथ ही साथ इतने समय तक ईश्वर के उत्तम आनन्द को भोगता है. इसी का नाम मोक्ष है. और यह समय पूरा होने के बाद फिर संसार में लौट कर जन्म लेता है. फिर दोबारा यदि मेहनत करे, तो दोबारा मोक्ष में जा सकता है." ऐसा वेदों के आधार पर ऋषियों ने लिखा है.

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